8TH SEMESTER ! भाग-37 ( Turning Point )
अरुण का पेपर बहुत खराब गया था ,ये बात वो मुझे लगभग हज़ारो बार बता चुका था...हर 5 मिनट. मे वो बोलता कि... साला बहुत हार्ड पेपर आया था...लगता है एक क्वेस्चन भी सही नही होगा... वो जब से पेपर देकर आया था तब से लड़कियो वाली हरकते कर रहा था, वो बुक खोलकर हर 5 मिनट मे answer मिलाता और जब आन्सर सही नही निकलता तो खुद सॉल्व करने बैठ जाता... की शायद बुक वाले ने गलत solution दिया हो 😜. चलो मान लिया की बुक मे एकात सवाल का गलत उत्तर होगा.. लेकिन हर सवाल का उत्तर गलत होगा...? ये असंभव था. लेकिन अरुण को अब कौन समझाये... ऊपर से गलत उत्तर आने पर वो BME वाले को गरिया अलग रहा था की... साला कुकुर, को पढ़ाने नही आता. मैं बिस्तर पर पड़े-पड़े जब उसकी इन हरकतों से बोर हो गया तो मैने उसे कहा कि एक पेपर बिगड़ जाने पर इतना परेशान हो रहा है.... तू क्या खाक देश की सेवा करेगा..... तेरे सीने मे चार गोलिया चाहिए मुझे... क्या गुंडा बनोगे, ऐसे मे.
"मुंडा मत बमका तू और जाके एक पैकेट सिगरेट लेकर आ.... BME वाला टीचर, साला हरामी, कुत्ते का बाल "
अब मैने भी सिगरेट पीना शुरू कर दिया था. इसकी शुरुआत तो ऐसे ही मूड फ्रेश करने से हुई थी पर अब आत्मा तृप्त हो जाती थी सिगरेट पीकर... और बीच -बीच मे कुछ घंटो के अंतराल मे यदि ये ना मिले तो मन बड़ा बेचैन हो उठता था... इसलिए सिगरेट खरीदने का दिन हमने आपस मे बाँट लिया था... जिसके अनुसार एक दिन वो सिगरेट का डिब्बा लाता तो एक दिन मैं....आज मेरी बारी थी.
"चल साथ मे नही चलेगा क्या...."
"मूड खराब है ,तू जा.. BME वाला साला हरामी, भड़वा...."
"अरमान..."तभी बाहर से किसी ने आवाज़ दी, आवाज़ जानी पहचानी थी , मैने रूम का दरवाज़ा खोला....सामने सिदार खड़ा था....
"तो क्या सोचा..."अंदर आते ही सिदार मुझसे बोला...
"किस बारे मे...?"मुझे अंदाजा हो चला था की MTL भाई किस बारे मे पूछ रहे है, फिर भी मैने ऐसा कहा
"NSUI का इलेक्शन लड़ेगा या नही...?"
"MTL भाई,आपको तो पहले ही बता दिया कि...."
"तेरा नाम मैने लिखवा दिया है..."मुझे बीच मे ही रोक कर सिदार ने कहा"मैं यहाँ तेरी राय जानने नही, तुझे बताने आया हूँ... ओके...?"
सिदार के बात करने के इस लहज़े से मैं सकपका गया और उसकी तरफ मुँह बंद किए देखता रहा और तब तक देखता रहा जब तक सिदार ने खुद मुझे आवाज़ नही दी...
"सुन, इस बार वरुण को किसी भी हालत मे प्रेसीडेंट बनने नही देना है, इसके लिए मेरे candidates का जीतना बहुत ज़रूरी है....सेकेंड ईयर मे गौतम के कारण मेरी पकड़ ढीली है और मुझे पूरा यकीन है कि सेकेंड ईयर से हम हारने वाले है...इसलिए मैं चाहता हूँ कि फर्स्ट ईयर से हम किसी भी हाल मे जीते और फर्स्ट ईयर के लड़को मे से सबसे ज़्यादा तू हाइलाइट हुआ है... लड़किया भले ना दे वोट्स, लेकिन लड़के तुझे ही वोट्स देंगे और लड़को का ratio लड़कियों के मुकाबले ज्यादा है... "
"लेकिन MTL भाई, वो मेरी पढ़ाई का...."
इस बार भी सिदार ने मुझे बीच मे रोका
"ना तो मेरा आज तक कभी बैक लगा और ना ही कभी मेरे कभी कम पॉइंटर बने, जबकि मैं अपना आधा समय स्पोर्ट्स को देता हूँ, उपर से लड़ाई झगड़े वाले कांड मेरे extra curricular activity है... तेरे रिकार्ड्स देखे है मैने.. तू ब्रिलियंट स्टूडेंट है.. मैनेज कर लेगा "
"लेकिन...."
"लेकिन वेकीन छोड़ और ये फॉर्म भर देना ..."मेरे बिस्तर पर रोल किया हुआ एक फॉर्म फेकते हुए उन्होने कहा" फॉर्म भरकर कल सुबह तक मेरे हॉस्टल मे पहुचा देना...."
"अब आप कह रहे है तो सही ही कह रहे होंगे... "मैने उदास मन से कहा....
उदास इसलिए नही था की मेरा मन नही था.. इनफैक्ट, सिदार ने सही कहा था की ये इलेक्शन -विलेक्शन से स्टडी पर कुछ खास फर्क नही पड़ता... सिर्फ कुछ दिन की तो बात है, फिर कहा कोई पूछता है. बात दरअसल पढ़ाई का नही थी... बात दरअसल ये थी की मै खुद को बहुत अच्छी तरह से जानता था.. मै यदि एक बार इस फील्ड मे उतर गया तो एक अलग ही राह पकड़ लूंगा.. क्यूंकि लड़ाई -मारपीट, दुनिया भर का लफड़ा... ऊपर से मेरे कभी पीछे ना हटने का ग़ुरूर और घमंड इतना ज्यादा था की.. मैने यदि मन बना लिया तो फिर सामने वाले को पेल के रहूँगा, फिर चाहे भले ही मै सामने वाले को पेलने के चक्कर मे पेला जाऊं...
एक बार स्कूल मे किसी लड़के ने अपने दोस्तों के साथ घेर कर मुझे मारा था. वो लोकल था और मै घर से बहुत दूर भोपाल मे पढ़ाई कर रहा था. बहुत खुन्नस थी मेरे अंदर... और खुन्नस मे मै उसे मार सकूँ , अपना बदला पूरा कर सकूँ.. अपना ग़ुरूर और घमंड कायम रख सकूँ.. इसलिए मै एग्जाम होने के एक महीने बाद तक घर नही गया और इंतजार करने लगा उस सही मौके का जब वो लड़का मेरे हत्थे चढ़े... फिर एक दिन मुझे मौका मिला.. और जो मारा हूँ, उसको... पूरी तबियत से लाल कर दिया था उसे... कई दिन तक हाथ मे प्लास्टर चढ़ा के घूमा वो फिर... बस यही कारण था और यही मेरे अहम् की कहानी... जिससे मै डरता था और मुझे डरना भी चाहिए था.. क्यूंकि अनजाने ही मै उस राह पर कदम रखने जा रहा था, जहा से फिर कभी मी लौट ही नही पाया... और इससे भी बुरी बात ये है की मैने कभी वापस लौटने की कोशिश भी नही की...
सिदार के जाने के बाद मैं सिगरेट लेने के लिए दुकान की तरफ बढ़ा, कल फिर टेस्ट था और तैयारी ज़ीरो थी लेकिन फिर भी इस वक़्त दिमाग़ मे पढ़ाई करने का ख़याल दूर-दूर तक नही था. पैदल चलते हुए पूरे रास्ते भर मेरे दिमाग़ मे कई ख़यालात घर किये हुए थे. केवल पढ़ाई और कल के टेस्ट को छोड़कर....ऐश , विभा ,दीपिका ,सिदार , अरुण और वरुण इन सबने मेरे दिमाग़ मे क़ब्ज़ा किया हुआ था...सिगरेट के कश लगाता हुआ मैं कभी ऐश से आज हुई अपनी झड़प के बारे मे सोच के मुस्कुराता तो कभी दीपिका मैम का हल्के गुलाबी रंग के सलवार मे क़ैद जिस्म अनायास ही मुझे याद आने लगता और मेरे कमर के नीचे अपने आप हलचल शुरू हो जाती.....
"ये साली विभा उस दिन के बाद कॉलेज मे नही दिखी..."हॉस्टल की तरफ आते हुए मैने खुद से कहा
और ये सच भी था क्यूंकी उस दिन के Gang -Bang के बाद विभा को मैने कॉलेज मे नही देखा था.... विभा जैसी लड़की जो एक दिन मे कॉलेज के दस राउंड मारती हो वो कॉलेज मे एक हफ्ते से ना दिखे तो थोड़ा झटका तो लगता ही है, वो मुझे एक हफ्ते से नही दिखी थी इसका एक ही मतलब हो सकता है कि वो एक हफ्ते से कॉलेज ही नही आई....लेकिन क्यूँ, मैने तो नारी जात का सम्मान करते हुए उसे सही-सलामत भेजा था और वरुण से दूर रहने की सही सलाह भी दी थी...
"पीरियड्स चल रहे होंगे..."मैने अंदाज़ा लगाया और सिगरेट के कश मरते हुए फिर हॉस्टल की तरफ चल पड़ा.....
लेकिन दिमाग़ मे अब भी विभा ने क़ब्ज़ा कर रक्खा था, क्यूंकी उस दिन के Gang-Bang के बाद मैं बहुत उत्सुक था कि उसकी और मेरी मुलाकात अब कैसी होती है ,उसका क्या रियेक्शन होता है...वो मुझे देखकर मुस्कुरायेगी या फिर गुस्सा करेगी या फिर मुझे देख कर कुछ और ही करेगी....🙃
"BHU को शायद कुछ पता हो..."ऐसा सोचते हुए मैं हॉस्टल मे दाखिल हुआ और सीधे bhu के रूम की तरफ चल पड़ा...
"और bhh पेपर कैसे बनाया..."उसके रूम मे घुसते ही मैने उससे पुछा....
"एक क्वेस्चन छूट गया..."
"ला पानी पिला, बहुत धूप है बाहर..."
"मैं अभी पढ़ाई करूँगा तू जा यहाँ से, एक हफ्ते बाद आना जब टेस्ट ख़तम हो जाएँगे..."एक साँस मे ही bhu ने सीधे और साफ लफ्जो मे कहा...
"अबे मुर्ख... मै तुझे डिस्टर्ब करने नही आया हूँ....बस कुछ जानना है तेरे से.. यदि काम ना होता तो तेरी सूअर जैसी शक्ल देखने का मेरा कोई शुक्र नही है... साला कालीचरण "
"क्या जानना है..."अपनी बेइज्जती चुप चाओ सहते हुए bhu मुद्दे पे आया
"विभा को जानता होगा...तू...?"सीधे पॉइंट पर आते हुए मैने कहा"वो कुछ दिनो से दिखी नही कॉलेज मे ?"
"विभा..."अपने माथे पर शिकन लाते हुए bhh ने अपने भेजे मे गूगल की तरह विभा का नाम सर्च करने लगा और जल्द ही वो बोला"वो कॉलेज मे दिखेगी कैसे, वो तो एक हफ्ते से कॉलेज ही नही आई..."
"तुझे कैसे मालूम"
"कल रात ही फ़ेसबुक पर उससे बात हुई थी मेरी..."
"ग़ज़ब... किसी को तो छोड़ दे बे, ठरकी... वरना गौतम की तरह वरुण भी झापड़ मारेगा... वैसे रीज़न मालूम है क्या...? की क्यों नही आ रही...?.."
"उसने कुछ नही बताया...."
"चल ठीक है तू पढ़ाई कर ,bye.."bhu के रूम से बाहर जाते हुए ना जाने क्या मन मे आया कि मैं फिर से पीछे मुड़ा और bhu से बोला"ऐश की कोई न्यू न्यूज़...."
पहले तो bhu हिचकिचाया और मुझे अपनी आँखो से ये बताने लगा कि उसके बाय्फ्रेंड ने मुझे सबके सामने थप्पड़ मारा था उसका नाम मत ले और फिर मैने भी उसे आँखो के इशारे से बताया कि मैने भी तो गौतम को सबके सामने थप्पड़ मारा था , तेरे लिए... इसलिए हिसाब बराबर.....
Kaushalya Rani
26-Nov-2021 06:36 PM
Nice story
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Barsha🖤👑
26-Nov-2021 05:39 PM
बहुत खूबसूरत भाग
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Aliya khan
01-Sep-2021 12:13 PM
ख़ूबसूरत कहानी
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